रविवार, 4 जुलाई 2010

भारत प्रश्न मंच भाग-३

आदरणीय स्वजनो को मेरा नमस्कार स्वीकृत हो. रविवार की इस सुबह मै अशीष मिश्रा आप लोगों के समक्ष भारत प्रश्न मंच पर हाजिर हूँ. जैसा कि मैने पहले निवेदन किया था कि इस भाग से अलग-अलग टिप्पणीयों मे दिया गया उत्तर ही मान्य होगा, उसे लागु कर दिया गया है. दो या दो से अधिक प्रश्नों का एक साथ दिया गया उत्तर मान्य नहीं होगा और ना ही उसे प्रकशित किया जायेगा.
आज का पहला प्रश्न है-
नीचे चित्र में दिखाये गये इमारत का क्या नाम है और यह कहाँ स्थित है -  
                                                                   


आज का दुसरा प्रश्न है-
नीचे लिखी गयी बाते किस पुराण के सन्दर्भ मे है-
"इस पुराण में श्लोकों की संख्या ५०००० से भी अधिक है. एक श्लोक जो इसमे है- 'सकृदुच्चारयेद् यस्तु नारायणमतन्द्रित:। शुद्धान्त:करणो भूत्वा निर्वाणमधिगच्छति॥'. यह महर्षि वेदव्यास जी द्वारा रचित है
और आज का तीसरा बोनस अंक के लिये सवाल है-


इस वृक्ष का नाम बताइये                                                                                                                                       
विशेष सूचना- सभी प्रश्नो का उत्तर अलग-अलग टिप्पणी मे ही दें. एक सथ दिये गये प्रश्नो के उत्तर मान्य नही होंगे. मुझे विश्वास है कि आप लोग अपना सहयोग इस मंच को प्रदान करेंगे.

चलो पहले प्रश्न के लिये एक हिंट देता हूँ. जिस शहर मे यह इमारत है वहाँ के एक और इमारत की फोटो नीचे दी गयी है-


                                




30 टिप्‍पणियां:

  1. bonus सवाल का जवाब --Jackfruit/कटहल का पेड़ है उसी की पत्तियां हैं .

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  2. kya sahi jawaab mil chuka hai ?
    agar nahi to hint deejiye
    is tarah khojna bahut mushkil hai

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  3. आशीष जी इस प्रश्न मंच की शुरुआत करने के लिए आप को बधाई । अभी आते है इन का उत्तर देने ।

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  4. 1.ये हजरतबल दरगाह है ।जो श्रीनगर(भारत) मे है

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  5. पद्मपुराण में श्लोकों की संख्या पचपन हजार हैं। ये श्लोक पद्मपुराण का है

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  6. आनंद भवन
    ये हमारे देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू जी का घर था। इलाहाबाद मे आनंद भवन
    बहुत मशहूर है

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  7. १ आन्न्द भवन इलहाबाद
    २ पद्म पुराण
    ३ कटहल का पेड़

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  8. स्वराज भवन- आनंद भवन 1930 में मोतीलाल ने इस भवन को राष्ट्र के नाम समर्पित कर दिया था परंतु यह अब स्वराज भवन
    के नाम से जाना जाता हैं। यह भवन नेहरू परिवार के स्मारक निधि का कार्यालय तथा चित्रकला से संबंधित बाल विद्यालय चल
    रहा है। किसी स्थान के इतिहास से परीचित होना चाहते हैं तो वहाँ के संग्रहालयको आप देख सकते हैं। ऐतिहासिक एवं अनोखी
    वस्तुओं से युक्त इस संग्रहालय की स्थापना सन् 1931 में की गई थी। इस संग्रहालय में ई। पूर्व शताब्दी के अवशेष प्रदर्शित
    किए गए हैं, जिनमें प्राचीन वाद्य यंत्र, पाषाणकालीन पत्थर, प्राचीन मूर्तियों की वीथिकाएँप्रमुख हैं।

    इलाहाबाद
    इलाहाबाद हमारे भारतवर्ष का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल माना जाता है।
    गंगा, यमुना, सरस्वती तीन भव्य नदियों का संगम यहाँ पर होता है इसलिए भारत के प्रमुख पवित्र स्थानों में इलाहाबाद प्रमुख है।
    पहले यह प्रयाग के नाम से यह स्थान प्रसिद्ध था । इलाहाबाद में श्रद्धालुओं के लिए अन्य आकर्षण के केन्द्र भी हैं:--
    महाकुम्भ मेला जोकि अपने ऐतिहासिक, आध्यात्मिक महत्व एवं विशालता के लिए प्रसिद्ध है। इस स्थान पर बारह सालों में
    एक बार कुंभ का मेला आयोजित होता है। आस्था शिक्षा एवं संस्कृति से ओत-प्रोत इस नगरी में प्रति वर्ष माघ मेले का आयोजन
    होता है। सम्राट अकबर ने 1583 में यमुना तट पर किला बनवाया था। किले के अंदर 232 फुट का अशोक स्तम्भ आज भी
    सुरक्षित है।

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  9. दूसरे प्रश्न का उत्तर है:- पद्मपुराण और इस वर्णित श्लोक का भावार्थ है कि "जो आलस्य का परित्याग कर एक बार भी नारायण नाम का उच्चारण कर लेता है, उसका अन्त:करण शुद्ध हो जाता है और वह निर्वाण पद को प्राप्त होता है"

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  10. ीअन्तिम सवाल का जवाब है:- कटहल का वृ्क्ष

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  11. aur han aashish ji savere shlok ka arth batana rah gaya tha
    -
    -
    सकृदुच्चारयेद् यस्तु नारायणमतन्द्रित:।
    शुद्धान्त:करणो भूत्वा निर्वाणमधिगच्छति॥

    (पद्मपुराण)

    जो आलस्य छोडकर एक बार नारायण नाम का उच्चारण कर लेता है, उसका अन्त:करण शुद्ध होता है और वह निर्वाण पद को प्राप्त होता है।

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  12. यन्नामस्मरणादेव पापिनामपि सत्वरम्। मुक्तिर्भवति जन्तूनां ब्रह्मादीनां सुदुर्लभा॥

    (पद्मपुराण, उत्तरखण्ड)

    उन भगवान् के नाम का स्मरण करते ही पापी जीवों को भी तत्काल ऐसी मुक्ति सुलभ हो जाती है, जो ब्रह्मा आदि देवताओं के लिये भी परम दुर्लभ है।

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  13. तदेव पुण्यं परमं पवित्रं गोविन्दगेहे गमनाय पत्रम्। तदेव लोके सुकृतैकसत्रं यदुच्यते केशवनाममात्रम्॥

    (पद्मपुराण)

    भगवान् केशव के नाममात्र का जो उच्चारण किया जाता है, वही परम पवित्र पुण्यकर्म है। वहीं गोविन्दगेह (गोलोकधाम)-में जाने के लिये वाहन है और वहीं इस लोक में सुकृत का एकमात्र सत्र है।

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