शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

***ममता***

Romantic Moon  Heart Cloud  Purple morning  Moon
हर सुबह
पौ फटते ही
एक लाठी के सहारे
सफेद साड़ी से लिपटी
दुर्बल काया लिये
वह आ जाती 
प्रौढ आश्रम के दरवाजे पर
पथराई आँखों से  
इंतजार करती वो
दूर तक फैले पथ पे
किसी के आने की,
अपनों से बेगाना होकर
अपनों से ही आश रखती थी
खामोश रहकर भी
अनगिनत सवाल करती थी 
सोचती कभी तो आयेगा
वो मेरा लाल 
जो मेरा दुलारा है
जो मेरा प्यारा है 
राह देखते देखते
कई सांझ ढल गयी थी
रातें भी ना जाने कितनी
उस सुबह की याद में 
निकल गयी थी
ऊंगली पकड़कर 
आज वो उस अपने के
साथ चलाना चाहती थी
जिसे कभी वो
चलना सिखाती थी
जिंदगी आखिरी पड़ाव पे थी
उस पल में वो कुछ
आपनों का साथ चाहती थी
एक सुबह 
नई किरणें जब बिखर रही थी
वो आज एक कोनें मे पड़ी 
खामोश थी
उसकी लाठी 
जो सहारा देती थी उसे
बेसहारा सी पड़ी थी
जिस राह को 
वो रोज तकती थी
आज उस पर  मोतियों की तरह
चारों ओर बिखरी सी 
ममता की ओस पड़ी थी..................

16 टिप्‍पणियां:

  1. माँ तेरी अजब कहानी। मार्मिक अभिव्यक्ति। आभार।

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  2. शीर्षक से ही भावनाओं की गहराई का एह्सास होता है। बहुत सुंदर कविता।

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  3. 4.5/10

    संवेदना जगाती मार्मिक पोस्ट
    उम्र की जिस दहलीज पर आज हमारे माता-पिता हैं.....
    कल को हम भी उसी उम्र पर आयेंगे.

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  4. ओह! दिल पर गहरा असर करने वाली रचना !

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  5. बहुत ही सुन्‍दर ...भावमय प्रस्‍तुति ।

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  6. मर्मस्पर्शी...सुन्दर रचना.

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  7. MAA KI MAMTA KE LIYE TO BHAGVAN KO BHI KRISHNA KA AVTAR LENA PADA THA

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  8. Wah kya bhav hain.....pdah kar dil inhe mehsoos kar raha hai. bahut acchi kavita hai

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  9. दिल की गहराईयो को छूने वाली, गहन संवेदनाओं की बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  10. मार्मिक अभिव्यक्ति। आभार।

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  11. बहुत अच्छी बन गयी ये रचना तो...
    वाह... भावुक...मार्मिक....

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  12. आप सभी लोगों ने इस रचना को पसंद किया , इसके लिए मैं आप सभी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ..........

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