आदरणीय स्वज़नो नमस्कार सरवर व्यस्त चलने के कारण मे नियत समय पर भाग २ के परिणाम की घोषण नही कर पाया
चलो अब कर देता हूँ
सही उत्तर है -
१ गोविंद देव जी का मंदिर वृंदावन इस मंदिर को कई लोग भूतो का मंदिर भी कहते है
आज से 2100 वर्ष पहले मथुरा से 10 -12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वृंदावन में भूतों ने एक मंदिर बनाया था, जिसे गोविन्द देव जी का मंदिर कहा जाता है. यहां पर रहने वालों का कहना है कि इस मंदिर को भूतों ने बनाया है. यह कहा जाता है कि इस मंदिर को आधी रात के समय भूत बना रहे थे. तभी सुबह के समय किसी महिला ने चक्की चला दी और उसकी आवाज़ सुनकर भूत मंदिर को अधूरा बना हुआ छोड़कर भाग गए. तब से ही ये मंदिर अधूरा ही है. बताया जाता है कि इस मंदिर में पहले गोविन्द देव जी की असली प्रतिमा थी, लेकिन अब वह असली प्रतिमा भी नहीं है. इसका कारण यह है कि जब औरंगज़ेब का शासन आया तो उस समय औरंगज़ेब हिन्दुओं के मंदिरों को ख़त्म करवा रहा था. उस समय औरंगज़ेब ने इस मंदिर को तुड़वाना शुरू किया. इस मंदिर के चार मंज़िल को वह तुड़वा चुका था और मंदिर की नक्काशियों में जड़े हुए जवाहरातों को वह निकालकर ले गया था. मंदिर की असली प्रतिमा को मंदिर के पुजारी औरंगज़ेब के डर के कारण जयपुर लेकर चले गए थे. फिर जयपुर के राजा ने जयपुर में ही गोविन्द देव का मंदिर बनवा कर उस असली प्रतिमा को स्थापित करवा दिया जो आज भी जयपुर के उस मंदिर में मौजूद है. जब मे वृंदावन गया था तब वह के गाइड ने बताया की पहले ये मंदिर चार मंज़िल और उँचा था दीवाली के दिन जब इस पर दीप जलाए जाते थे तो इनकी रोशनी दिल्ली मे भी दिखाई देती थी औरंगजेब ने इसे देख कर दंग रह गया और उसने इस मदिर के उपर के चार मंज़िलो को गिराव दिया
२. कांजीवरम कि साड़ीयॉं
३. दिल्ली भारत की राजधानी सन १९११ मे बनी
इस बार प्रतियोगियो कि संख्या कम हो गयी पर मुझे पुर्ण विश्वास है कि भविष्य मे इस प्रतियोगिता मे अनेक लोग भाग लेन्गे
इस बार की एकमात्र विजेता है-
शुक्रिया जी..बहुत ही बढ़िया जानकारी मिली..बताइये भूतों को भगाने के लिए भगवन के नाम का जाप करते हैं और यहाँ भूतों ने मंदिर बनाया .:)
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