सोमवार, 4 अक्टूबर 2010

दुध का दुध पानी का पानी, जरा सुनिये तो बेनामी जी की वाणी

दिनाँक ०२/१०/१० को आयोजित भारत प्रश्न मे दो प्रश्न दिये गये थे, जिसमे से एक प्रश्न था कि भारत मे निर्मित पहले कंप्युटर का क्या नाम था. सम्मानीय चिट्ठकारों अन्य पहेली आयोजित कराने वाले स्थान की अपेक्षा ये एक छोटा सा मंच है जहाँ पर मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए चार या पांच लोग भाग लेते है. उनमे से एक आदरणीय प्रकाश गोविन्द जी है और दुसरे आदरणीय दर्शन लाल बवेजा जी है , निश्चित तौ आप सभी लोग इनसे परिचित है. लेकिन एक बेनामी ने एक ऐसी टिप्पणी दी जिससे हम सब आहत हो गये. क्या थी वो टिप्पणी आप लोग खुद ही देख लिजिए-
श्रीमान पं.डी.के शर्मा जी ने ठीक ही कहा हे।पहले ही बधाई दे दी है। उनको मालूम हैं कि यहा यही कहावत चल रही है। चरितार्थ हो रही है। कि ‘‘अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर घर वालों को ही देत’’ यानि जीत का सेहरा तो दर्शन जी और प्रकाश जी को ही मिलना है।


वैसे श्रीमान मिश्रा जी आपका कम्प्यूटर वाला प्रश्न ही सही नहीं है। विवादित है। क्योकि पहला कम्प्यूटर आप किसे ठहरा सकते हैं कोई एक पिढी में तो इसका विकास हुआ नही


पहले एबेकस
फिर पास्कलाईन
और फिर मार्क प्रथम
और बेबेज का डिपरेंस इंजन
वैक्यूम टयूब के कम्प्यूटर
लेकिन इनमें सम्पूर्ण कम्प्यूटर के रूप में वो किसी को परिभाषित नहीं कर पाये अब आप ही बताइये इनमें से किसे आप पहला कम्प्यूटर मान लेंगे लकिन आपको तो वही करना है तो आपने सोच रखा है। और उन दोनों का उत्तर ....
और आई बी एम कम्प्यूटर


पी.सी कम्प्यूटर
फिर भारत ने परम 10 हजार नामक सुपर कम्प्यूटर बनाया

इसमें बेनामी महोदय जी ने मेरे लिये जो कहा उसे तो मै सहर्ष स्वीकार कर लेता हूँ कि मै कंप्य़ुटर का कोई ज्ञाता नहीं हूँ बेनामी महोदय जी काफ़ी पढ़े लिखे लग रहे हैं तो हो सकता है कि यदि वो मेरी परिक्षा ले तो मै फ़ेल हो जाऊँ.
लेकिन उन्होने प्रारंभ जो बाते श्री प्रकाश गोविंद जी और श्री दर्शन लाल जी के लिये कहे है वो प्रतिभागियों और प्रतिभाओं का अपमान है.
अब आइये हम आपको वो सबुत दिखाते है जिसके द्वारा प्रकाश जी ने जवाब दिया इसे कल रात को प्रकाश सर ने मुझे ई-मेल किया.  अपने आरोपों का खण्डन करने के लिये उन्होने कल के कल ही अपने स्केनर को सिर्फ इस काम के लिये सही करवाया-


ये कटिंग 18 अगस्त 1997 के राष्ट्रीय सहारा अखबार की है 

और मैने जो प्रश्न पुछा था वो उपकार प्रकाशन की सामान्य ज्ञान दिग्दर्शन कोड नं. १०४ वाली किताब से पुछा था. मैने भी मोबाईल से ये तस्वीरें निकाली है-





बेनामी महोदय जी कृपया आरोप लगाने से पहले एक बार तो सोच लिया कीजिए कि आप जिनका नाम ले रहे है वो यही के चैम्पियन नहीं बल्कि हर जगह के चैम्पियन हैं .
आप मुझे जी भरकर कोश सकते है जो चाहे कह सकते हैं, आपको मुझे कहने का पूरा अधिकार है पर यहाँ आये प्रतिभागियों के संदर्भ में कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है. आप मुझे पत्थर मारेंगे उसे मै आपका प्रसाद समझ कर स्वीकार कर लूंगा यूँ भी इंसान चोट खाकर ही आगे बढ़ता है मै तो इस ब्लॉग जगत में नया हूँ. शुरू में ही अल्पना मैम ने जब कहा था कि आशीष बाहरी दुनिया की तरह यहाँ भी कई झमेले है तो मैंने उनसे कहा था कि मैम मै आप को वचन देता हूँ कि मै कभी भी किसी से ईर्ष्या दवेश नहीं करूंगा. और मै उसका पालन भी कर रहा हूँ , बेनामी महोदय आप मुझसे उम्र में भी बड़े है और हर प्रकार के अनुभव में भी , लेकिन आप ने ये टिप्पणी देते हुए सोचा कि इससे कितने लोग आहत होंगे इससे प्रकाश जी सहित और भी कई लोगों को चोट पहुँची है. इस छोटे से मंच का आप सम्मान नहीं कर सकते तो कम से कम अपमान भी ना करें. इस प्रश्न मंच से वास्तव में मेरा ही ज्ञानवर्धन होता है क्योकि इससे मुझे कई प्रश्नों के उत्तर आ जाते है, ये तो यहाँ पर आने वाले प्रतिभागियों का बड़प्पन है कि मुझ जैसे छोटे इंसान का सम्मान करने के लिए वो यहाँ पर आते है, अपने शिष्य को भी गुरु बनने का मौक़ा देते है.
 एक बार आपसे ही नहीं बल्कि उन सभी बेनामी लोगो से निवेदन करूँगा कि ऐसी कोइ टिप्पणी न दे जिससे किसी का दिल आहत हो. 

आदरणीय अल्पना मैम ने इस सन्दर्भ में जो टिप्पणी दी उसे मै यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ -







-बेनामी टिप्पणीकर्ताओं का हमेशा से काम यही रहता है कि किसी भी तरह सामने वाले को हतोत्साहित किया जाये .
ऐसा बहुत बार ताऊ पहेली पर भी हमने देखा है.
-आप ने तथ्यों के साथ बेनामी के प्रश्न/टिप्पणी का जवाब दिया बहुत सही किया.
-रही बात प्रकाश जी और दर्शन जी की ..तो यहाँ ब्लॉग जगत में हो रही विभिन्न पहेलियों में उनका प्रदर्शन काबिले तारीफ़ है .
प्रकाश जी तो यहाँ काफी समय से पहेलियों में भाग ले रहे हैं ,चित्र पहेली ही नहीं गणित और तार्किक पहेलियाँ जो विवेक रस्तोगी जी पूछा करते हैं वहाँ भी उनके ब्लॉग पर वे एक मात्र ऐसे ब्लॉगर हैं जिन्होंने सबसे अधिक गणित की पहेलियाँ सुलझाई हैं और वह भी सर्वप्रथम!हाल ही में उन्होंने तीन ब्लॉग--मनीष जी का-राज जी का --औरयहाँ एक साथ एक हफ्ते में पहेलियाँ जीती हैं..तो क्या सभी उनको जवाब बताते हैं??
-दर्शन जी एक अध्यापक हैं और अभी नए हैं ब्लॉग जगत में..उनका भी सामान्य ज्ञान क्रेअतिवे मंच /तसलीम /ताऊ पहेलियों आदि पर दिखाई दे रहा है .
@बेनामी महोदय ,इस तरह किसी पर भी बिना बात के दोषारोपण करना बहुत ही गलत है.आप अगर किसी के बारे में जानते नहीं है तो उनके बारे में छींटाकशी करने का हक आप को नहीं है .
पहेलियाँ ज्ञानवर्धन करने के लिए पूछी जाती हैं ,और इनका सञ्चालन आसान नहीं है ..आप प्रतियोगिता करीए,हमें बुलाईये , हम सब आयेंगे भाग लेने..
@आशीष ..ऐसे बेनामी बहुत होते हैं जो जिज्ञासावश या गुस्से में या संशय में या फिर यूँ ही लिखते हैं ...
वैसे जब कोई एक ही प्रतियोगी बार बार प्रथम स्थान लेने लगे तो लोगों को ऐसा लगने लगता होगा कि इन्हें जवाब मालूम होंगे ..वे यह नहीं द्केहते कि कितने लोग भाग ले रहे हैं?और कब से भाग ले रहे हैं ..
-आप इन बातों में समय व्यर्थ न करें ..अपनी पढाई पर ध्यान दें.
शुभकामनाएँ

किसी भी त्रुटी के लिए मै क्षमाप्रार्थी हूँ 

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बकवास आरोप लगाया है बेनामी जी ने !
    ऐसा आरोप सिर्फ वही लगा सकता है जिसको प्रकाश गोविन्द जी के बारे में कुछ भी पता ना हो !
    उन्होंने अपनी काबिलियत हर जगह सिद्ध की है !

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  2. bekaar kee baat hai sab.
    ignore karen aise logon ko.
    govind ji ko kya jarurat padi hai cheating karne ki ? wo aise nahi hain.
    aap paheli continue rakhen

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  3. आशीष जी ,ऎसे लोगो के बारे मे क्या सोचना जो खुद ही बुजदिल है तभी तो सामने आने का साहस नही कर पाते। ऎसे बेनामी लोगो की बातो पर ध्यान न दे ।जैसे गुलाब का फूल काँटो मे रहते हुए भी सुगन्ध देता है वैसे ही बेनामी रुपी काँटो की ओर ध्यान न देकर आप ज्ञान रुपी सुगन्ध इस मंच पर बिखेरते रहे ।मेरी शुभकामनाएं आप के साथ है।

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  4. शांत हो जाओ जी .....
    ये प्रकाश बवेजा कौन है मिश्रा जी

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  5. ब्‍लॉग जगत में कुछ दिन पहेलियों में ध्‍यान गया था .. तो ईनाम में कई बार मेरा भी नाम आया .. मैं नियमित नहीं रह पाती तो ये मेरी गल्‍ती है .. दूसरों पर दोषारोपण क्‍यों की जाए .. वैसे मैं भी बेनामियों के प्रहारों की भुक्‍तभोगी हूं .. उनके बातों की चिंता न करने में ही भलाई है !!

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  6. हमने भाई प्रकाश गोविन्द जी का नाम "पहेली बुझक्कड" यूँ ही तो नहीं रखा हुआ...वो तो उनकी अपनी प्रतिभा का कमाल है, लेकिन बेनामी महोदय हमारी वाली टिप्पणी को गलत एंगल से देख बैठे...खैर जैसी जिसकी सोच.

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  7. .

    आशीष जी,

    ऐसी टिप्पणियों से विचलित मत होइए। दर्शन लाल जी और प्रकाश जी निश्चय ही विद्वान् हैं। उनके खिलाफ कोई कुछ लिखेगा तो स्वयं अपना ही अपमान करेगा उनका नहीं।

    आपका प्रयास सराहनीय है। जारी रखिये।

    शुभकामनायें।

    .

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  8. नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।

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  9. अनर्गल टिप्पणियों का सर्वोत्तम प्रत्युत्तर यही है कि चुप रहा जाए।

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